Introduction to Routing
Routing Tables
- Destination network और उसका sub-net mask होता है।
- Destination network तक जाने के लिए next hop router के बारे में information होती है।
- Routing metrics और administrative distance stored होती है।
- Routed protocols – ये network layer protocols होते है। Routed protocols devices के साथ logical addresses attach करते है। ये protocols data को एक network से दूसरे network में भेजने के लिए responsible होते है। उदाहरण के लिए IP (Internet Protocol) और IPX आदि।
- Routing protocols – ये protocols routing tables में network, topology और next hop information build करते है। ये सारी information dynamically (automatically) build की जाती है। उदाहरण के लिए RIP, IGRP और OSPF आदि। Routing protocols 2 तरह के होते है।
- Distance vector – इस तरह के protocols में metric hop count (number of routers between source and destination) के द्वारा determine की जाती है। जिस route में distance सबसे कम होती है वही route choose किया जाता है। इस तरह के protocol का उदाहरण RIP है।
- Link state – इस तरह के protocols में metric shortest path first algorithm से determine की जाती है। सभी routes की cost में जो सबसे कम cost होती है उसे ही route चूना जाता है। इस तरह के protocols का उदाहरण OSPF है।
- Prefix-Length – ये network को identify करने के लिए bits की quantity होती है। इससे सबसे सटीक route determine किया जाता है। Prefix length जितनी ज्यादा होती है route उतना ही सटीक होता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए एक packet 10.1.5.0/24 host पर जा रहा है और router की routing table में निचे दिए गए 2 networks है। यँहा पर पहले network को choose किया जायेगा क्योंकि इसकी prefix length अधिक है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की metric या administrative distance क्या है।
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- 10.1.5.0/24
- 10.0.0.0/8
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- Metric – Metric router को routing protocol के अंतर्गत best route ढूंढने की योग्यता देती है। Distance vector protocols distance को metric की तरह यूज़ करते है और link state protocols shortest path first algorithm द्वारा calculate की गई cost को metric की तरह यूज़ करते है। जिन routes की best metric होती है वही routing tables में add किये जाते है। यँहा तक की यदि किसी routing protocol के पास एक ही network तक जाने के 4 route है तो भी जो metric सबसे better होगी उसे ही routing table में add किया जायेगा। यदि equal metric के एक से ज्यादा route available है तो load balance के द्वारा सही metric को choose किया जायेगा।
- Administrative Distance – यदि router पर एक से अधिक routing protocols चल रहे है तो किस protocol पर सबसे अधिक trust करना है ये administrative distance के द्वारा determine किया जाता है। जँहा पर administrative distance सबसे कम होती है वही protocol choose किया जाता है। Administrative distance एक numerical value होती है जो dynamic protocols को assign की जाती है। ये fixed होती है। जिस protocol की administrative distance unknown होती है उसे कभी भी routing table में नहीं लिया जाता है। कुछ common protocols की administrative distance निचे दी जा रही है।
Protocols | Administrative Distance |
IGRP | 100 |
OSPF | 110 |
RIP | 120 |
Unknown | 255 |
Viewing Routing Table
- C – इस label का मतलब है की दिया गया router current router से directly connected है।
- S – ये label बताता है की दिया गया router statically manage किया गया है।
- S* – ये बताता है की current router से दिए गए router के बीच में default route है।
- D – इस label का मतलब है की दिया गया router EIGRP protocol यूज़ कर रहा है।
- I – ये label बताता है की दिया गया router IGRP protocol यूज़ कर रहा है।
- R – ये बताता है की दिया गया router RIP protocol यूज़ कर रहा है।
- O – इस label का मतलब है की दिया गया router OSPF protocol यूज़ कर रहा है।
Clearing Routing Table
Choosing Best Route
- सबसे पहले आप सभी route की destination route के साथ prefix length match करेंगे। जिन routes की prefix length सबसे accurate है आप उन्हें चुन लेंगे।
- अब इन routes में से जिस route की metric सबसे कम है आप उसे choose कर लेंगे।
- यदि same metric के एक से अधिक route है तो आप सबसे कम administrative distance वाले route को choose करेंगे और यही आपका सबसे best route होगा।
Static & Dynamic Routing
- Static routing
- Dynamic routing
इन दोनों methods के बारे में निचे detail से दिया जा रहा है।
Static Routing
- Static routing में CPU पर overhead बहुत कम होता है।
- Bandwidth में overhead बिलकुल भी नहीं होता है क्योंकि routers एक दूसरे के साथ updates share नहीं करते है।
- Static routing से आप network को deep level पर control कर सकते है।
निचे static routing की कुछ disadvantages भी दी जा रही हैं।
- यदि network में कोई change करना हो तो उसे सभी routers पर manually करना होता है।
- यदि कोई link down हो जाये तो इसमें कोई fault tolerant नहीं होती है।
- Static routing large networks के लिए impractical है।
Dynamic Routing
- RIP (Routing Information Protocol)
- IGRP (Interior Gateway Routing Protocol)
- EIGRP – (Enhanced Interior Gateway Routing Protocol)
- OSPF – (Open Shortest Path First)
Dynamic routing में routers एक दूसरे के साथ routing information share करते है। इससे CPU और Memory का overhead बढ़ जाता है और bandwidth भी use होती है। लेकिन यदि network में कोई link down हो जाये तो routing protocols dynamically दूसरा better path choose कर सकते है।
- Dynamic routing को large networks पर आसानी से configure किया जा सकता है।
- Automatically better path choose करने में सक्षम।
- Different links के बीच में load balance करने में सक्षम।
निचे dynamic routing की कुछ disadvantages भी दी जा रही हैं।
- Dynamic routing bandwidth consume करती है।
- Router के CPU पर additional load पड़ता है।
- Route की choice routing protocol के हाथ में होती है administrator इसमें कुछ नहीं कर सकता है।
Categories of Dynamic Routing Protocols
- Distance vector protocols
- Link state protocols
Distance Vector Routing Protocols
- पूरी routing table की periodic updates सभी पड़ौसी routers को भेजी जाती है।
- Distance vector protocols में convergence बहुत slow होता है और ये protocols loops के प्रति अतिसंवेदनशील होते है।
- Route की metric calculate करने के लिए distance को यूज़ किया जाता है।
- Shortest path तय करने के लिए Bellman ford algorithm यूज़ की जाती है।
Distance vector routing protocols सभी neighbors को directly connected networks के बारे में updates send करते है। ये update regularly भेजी जाती है। RIP में ये update हर 30 second में भेजी जाती है और IGRP में ये update हर 90 second में भेजी जाती है। इन updates से neighbors अपनी routing tables में route add कर लेते है। इसके बाद सभी neighbors अपनी पूरी routing table को सभी neighbors के साथ share करते हुए forward कर देते है।
Link State Routing Protocols
- Neighbor table – इस table में सभी neighbors की list होती है और साथ ही ये भी होता है की कौनसा neighbor किस interface से connected है। Neighbor table hello packets भेज कर बनायीं जाती है।
- Topology table – इसे link state table भी कहते है। इसमें एक area की सभी links का map stored रहता है। साथ ही हर link का status भी stored रहता है।
- Shortest path table – इस table में हर destination के लिए best routes stored रहते है।
Link state routing protocols में routers directly connected networks के status के बारे में updates भेजते है। सभी routers ये information topology table में store करते है। एक area के अंदर जितने भी routers होते है उनकी topology table same होती है।
यदि किसी link में कोई change आता है तो केवल इस link से related update सभी routers को भेजी जाती है और सभी routers उसके अनुसार अपनी topology table को adjust कर लेते है।
केवल जिस link में change हुआ है उसी की update भेजी जाती है इस वजह से bandwidth पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन 3 tables को manage करने की वजह से CPU बहुत अधिक utilize होता है।
Link state protocols में Dijkstra formula के द्वारा shortest path calculate किया जाता है।